कश्मीर में पाबंदियों पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी मोदी सरकार के लिए 2020 का पहला बड़ा झटका: कांग्रेस

कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में जारी पाबंदियों से जुड़ी सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को मोदी सरकार के लिए वर्ष 2020 का पहला बड़ा झटका करार दिया। कांग्रेस ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह स्मरण कराया गया है कि देश उनके सामने नहीं, संविधान के समक्ष झुकता है।


पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार की गैरकानूनी गतिविधियों को यह कहते हुए पहला बड़ा झटका दिया कि इंटरनेट की आजादी एक मौलिक अधिकार है। वहीं गुलाम नबी आजाद ने उच्चतम न्यायालय के आदेश की सराहना करते हुए शुक्रवार को कहा कि सरकार ने लोगों को गुमराह करने की कोशिश की थी और इस बार शीर्ष अदालत किसी दबाव में नहीं आई। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष आजाद ने कहा, ‘हम फैसले का स्वागत करते हैं। यह पहली बार है कि उचचतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर के लोगों की दिल की बात कही है। उसने लोगों की नब्ज पकड़ ली है। मैं ऐतिहासिक निर्णय के लिए उच्चतम न्यायालय का धन्यवाद करना चाहता हूं। पूरे देश खासकर जम्मू-कश्मीर के लोग इसके लिए इंतजार कर रहे थे।’ उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने पूरे देश को गुमराह किसा। इस बार उच्चतम न्यायालय किसी दबाव में नहीं आई।


फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
शीर्ष अदालत ने फैसले में कहा है कि जम्मू कश्मीर सरकार एक सप्ताह के भीतर सभी प्रतिबंधात्मक आदेशों की समीक्षा करे। कोर्ट ने प्रशासन से अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों जैसी आवश्यक सेवाएं प्रदान करने वाली सभी संस्थाओं में इंटरनेट सेवाओं को बहाल करने के लिए कहा। साथ ही जम्मू-कश्मीर प्रशासन से प्रतिबंध लगाने के सभी आदेशों की एक हफ्ते में समीक्षा करने और उन्हें सार्वजनिक करने के लिए कहा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, किसी विचार को दबाने के लिए धारा 144 सीआरपीसी (निषेधाज्ञा) का इस्तेमाल उपकरण के तौर पर नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कश्मीर में बहुत हिंसा हुई है। हम सुरक्षा के मुद्दे के साथ मानवाधिकारों और स्वतंत्रता को संतुलित करने की पूरी कोशिश करेंगे। इंटरनेट पर एक समयसीमा तक ही रोक लगना चाहिए।